( तर्ज - संगत संतनकी करले ० )
मनका मत सुनना गाना ।
अगर दिलदार तुझे पाना ॥टेक ॥
अर्गन बाजाको छोडा है ,
गधडे सुरको सुनता ।
दस नादोंको सुनले प्यारे !
संत जहाँ थुन रहता ।। १ ।।
राजा होकर चकिया पीसे ,
क्या तेरी चतुराई ? ।
अमृत होकर जहर उठाता ,
किसने चैन सिखाई ? ॥ २ ॥
ग्यानी होकर भूले जगमें ,
दूर किया है साँई ।
साक्षी होकर सब इंद्रियका ,
फँसता क्यों तनमाँही ? ॥ ३ ॥
कहता तुकड्या दास गुरूका ,
अपने धुनको धुनले ।
पता कराकर अपने आपका ,
दुसरोंकी ना सुनले ॥४ ॥
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